Tuesday, 8 September 2020

राष्ट्रीय (नई) शिक्षा नीति 2020 NATIONAL (NEW) EDUCATION POLICY 2020

 उच्च शिक्षण संस्थाएं न केवल ज्ञान के मंदिर हैं अपितु वे न्याय के अन्वेषण, अध्ययन और क्रियान्वयन की प्रयोगशाला भी हैं, जहाँ शैक्षिणिक न्याय प्रदान किया जाता है. सत्य असत्य की पहचान, नैतिक अनैतिक का परिचय, गलत सही का बोध, अधिकार और कर्तव्य की जानकारी, शिक्षक अपनी कक्षा में और अपने आचरण से देता है.

शिक्षण संस्थाओं से जुड़े लोग शिक्षा धर्म का पालन करते है. जैसे आग का धर्म है जलना और पानी का धर्म है शीतलता प्रदान करना वैसे ही शिक्षक का धर्म है शिक्षा देना, विद्यार्थी का धर्म है शिक्षा ग्रहण करना और इससे जुड़े लोग जैसे गैर शिक्षण कर्मचारी बंधु, अन्य शैक्षणिक अधिकारियों  का धर्म है इस आदान प्रदान में सहयोग करना. इस प्रकार शिक्ष संस्थाएं विशेषकर महाविद्यालय और विश्वविद्यालय ज्ञान, न्याय और धर्म तीनों का एक संगम निर्मित करते हैं. शासन और उसकी इकाइयों का धर्म है इस पूरे संव्यवहार के लिए  कानूनी आधार, उचित संरचना, उत्साहजनक  माहौल, उपयुक्त आर्थिक सम्बल और प्रभावी संवाद स्थापित करना.

नई शिक्षा नीति इसी शिक्षा धर्म के पालन का एक आवश्यक कदम है. यह ज्ञान, न्याय और धर्म की इस त्रिवेणी को स्वीकार करती है. यह शिक्षा संस्थानों और अध्यापकों को ज्यादा स्वायत्ता दे उसे  सशक्त करती है , आर्थिक दृष्टि से ज्यादा संपन्न बनाने का प्रस्ताव करती है, और प्रयोगमूलक बनाती है. इस कारण अनेक विद्वानों और शीर्षस्थ टिपण्णीकारों का भी यह मानना है कि  नई  शिक्षा नीति  भारत की युवा ऊर्जा को नवीन आयाम देगी, समृद्ध बौद्धिक सम्पदा और सांस्कृतिक  विरासत की वाहक बनेगी।  यह एक ओर ग्रामीण जगत की आवश्यकता को आत्मसात करेगी तो दूसरी ओर यह नीति विश्व पटल पर भारत को एक वृहद्  शिक्षा आंदोलन का प्रणेता बनाने की क्षमता  रखती है, जिसका लाभ विकसित और विकासशील दोनों देशों को मिलेगा.

NATIONAL EDUCATION POLICY AND LANGUAGE

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