एक संवेदशील मुद्दा है. लोग धर्म के लिए भूखे रह लेते हैं, मर जाते हैं. भारत सरकार सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश (जैसे मार्कण्डेय काटजू) की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन करे जो आजादी के बाद से अब तक धर्मान्तरण से सम्बंधित सभी सामाजिक, आर्थिक, विधिक, राजनैतिक मामलों पर एक सांगोपांग(comprehensive) रपट दो साल में दे. सरकार इस रपट पर कार्यवाही करे.
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